श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव: आर्थिक संकट के बाद नई उम्मीदें

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Sri Lanka Presidential poll LIVE: Sri Lanka votes in first election since economic crisis

श्रीलंका में आज हो रहे राष्ट्रपति चुनाव देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। यह चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद का पहला बड़ा चुनाव है, जहां जनता अपने भविष्य के लिए नए नेतृत्व का चयन कर रही है। आर्थिक संकट ने श्रीलंका को लगभग कंगाल कर दिया था, और इसी संकट के कारण पिछले राष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ा था। अब, इस चुनाव के जरिए श्रीलंका के नागरिक नई उम्मीदें और विकास की दिशा में नए कदम तलाश रहे हैं।

आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि

श्रीलंका का आर्थिक संकट 2022 में चरम पर पहुंचा था। देश ने दशकों में सबसे गंभीर आर्थिक मंदी का सामना किया, जहां महंगाई आसमान छूने लगी और जरूरी वस्तुओं की कमी हो गई। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गए थे, और सरकार के पास पेट्रोल, डीजल, दवाइयां और खाद्य सामग्री जैसे जरूरी आयातों के लिए भी धन नहीं बचा था। ईंधन की किल्लत और बिजली कटौती ने आम जनता का जीवन दूभर कर दिया था।

इस आर्थिक संकट की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए, और श्रीलंका में असंतोष बढ़ने लगा। इसके चलते अप्रैल 2022 में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। इस संकट की छाया अब भी श्रीलंका पर मंडरा रही है, और इसी पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं।

चुनाव का महत्व

श्रीलंका के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश को एक स्थिर और सक्षम नेतृत्व प्रदान कर सकता है। देश के नए राष्ट्रपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को सुधारना और विदेशी ऋण का पुनर्गठन करना होगा। देश को IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से आर्थिक मदद की जरूरत है, और इसके लिए एक मजबूत और दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता है।

यह चुनाव श्रीलंका के लोकतंत्र के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है। आर्थिक संकट ने देश की राजनीतिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। जनता इस बार ऐसे नेता की तलाश में है जो उनकी समस्याओं को समझे और उनका समाधान कर सके।

मुख्य उम्मीदवार

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में कई दावेदार मैदान में हैं, लेकिन दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।

  1. रनिल विक्रमसिंघे: मौजूदा राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे देश के लिए एक अनुभवी नेता हैं। उन्होंने गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद संभाला था और आर्थिक संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए। हालांकि, जनता में उनके प्रति मिली-जुली राय है। उनके समर्थकों का मानना है कि विक्रमसिंघे के पास देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की क्षमता है, जबकि विरोधियों का कहना है कि वह पिछले संकटों को ठीक तरह से संभाल नहीं पाए।
  2. सरीथ फोन्सेका: पूर्व सेना प्रमुख सरीथ फोन्सेका भी एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे हैं। उन्होंने अपनी सैन्य सेवा के दौरान देश की सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फोन्सेका का मानना है कि देश को मजबूत नेतृत्व और अनुशासन की जरूरत है, और वह इसे लागू कर सकते हैं।

इन दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के अलावा भी कई अन्य उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, लेकिन विक्रमसिंघे और फोन्सेका के बीच मुकाबला सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चुनावी मुद्दे

इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा आर्थिक सुधार है। श्रीलंका के नागरिक अब भी महंगाई, बेरोजगारी और बुनियादी आवश्यकताओं की कमी से जूझ रहे हैं। इसलिए, जनता ऐसे नेता का चयन करना चाहती है, जो आर्थिक संकट से निपटने में सक्षम हो और देश को पुनः विकास की दिशा में ले जा सके।

अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों में विदेशी ऋण का पुनर्गठन, सरकारी प्रशासन में सुधार और कोविड-19 के बाद की चुनौतियों का सामना करना शामिल है। साथ ही, श्रीलंका के लिए आंतर्राष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करना भी एक बड़ी प्राथमिकता है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके।

चुनाव प्रचार और जनता की प्रतिक्रिया

इस चुनाव प्रचार के दौरान सभी उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी योजनाओं को जनता के सामने रखा है। जहां विक्रमसिंघे ने अपने अनुभव और आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं फोन्सेका ने मजबूत नेतृत्व और अनुशासन की बात की है। दोनों ही उम्मीदवारों ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए नई योजनाओं की बात की है, लेकिन जनता को कौन ज्यादा प्रभावित कर पाता है, यह चुनाव परिणामों से स्पष्ट होगा।

जनता में इस चुनाव को लेकर जबरदस्त उत्साह है। लोग मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। देश के हर वर्ग के लोग चाहते हैं कि एक ऐसा नेतृत्व आए, जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सके और देश को एक नई दिशा दे सके।

संभावित चुनौतियाँ

इस चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों, लेकिन श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ होंगी। देश को अभी भी आर्थिक संकट से पूरी तरह उबरने में समय लगेगा।

  1. विदेशी ऋण: श्रीलंका पर अरबों डॉलर का विदेशी ऋण है, जिसे चुकाना मुश्किल हो रहा है। IMF से आर्थिक मदद मिलने के बावजूद, सरकार को ऋण चुकाने और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए ठोस नीतियों की जरूरत है।
  2. महंगाई और बेरोजगारी: महंगाई और बेरोजगारी का सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अब भी ऊंची हैं, और रोजगार के अवसर सीमित हैं। नए राष्ट्रपति को इस दिशा में भी ठोस कदम उठाने होंगे।
  3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध: श्रीलंका को विदेशी निवेश की भी जरूरत है, और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करना होगा। श्रीलंका की स्थिति को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय निवेशक तब तक उत्सुक नहीं होंगे, जब तक देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं आ जाती।

निष्कर्ष

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जनता के सामने एक बड़ा सवाल है—क्या मौजूदा नेतृत्व देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाल पाएगा, या फिर एक नए नेतृत्व की जरूरत है? जनता का यह निर्णय श्रीलंका के भविष्य को तय करेगा।

यह चुनाव देश के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकता है, क्योंकि एक स्थिर और सक्षम नेतृत्व ही श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबार सकता है। जनता की उम्मीदें इस चुनाव पर टिकी हैं, और नए राष्ट्रपति से देश को एक मजबूत और उज्ज्वल भविष्य की दिशा में ले जाने की अपेक्षा की जा रही है।

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