शनि देव की पूजा केसे करे ओर दोष से मिलेगी मुक्ति, इस विधि से पढ़ें शनिदेव की स्तुति|

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शनि देव की पूजा करने के लिए पहले तो आपको उनकी स्थापना करनी होगी। इसके लिए, एक काले रंग की सुटी, कंबल, या पूजा स्थल के लिए किसी अन्य चीज़ का उपयोग करके उनकी मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। फिर शनि देव की पूजा करने के लिए विशेष प्रार्थना करें, मंत्र जपें, और उनके चरणों में पुष्प चढ़ाएं।शनि देव की स्तुति को पढ़ने के लिए, आप उनके विभिन्न नामों और मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जैसे “ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये” या “नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥”शनि देव की पूजा करने से आप दोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन समय-समय पर उनकी पूजा को नियमित रूप से करना चाहिए और भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।

शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही इसके कष्ट को दूर करने के लिए शनि देव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। कहा जाता जो लोग ऐसा प्रत्येक शनिवार करते हैं उनके ऊपर से शनि दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। तो आइए पढ़ते हैं शनिदेव की स्तुति जो इस प्रकार है-

शनि देव की पूजा को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने के लिए, आप निम्नलिखित विधियों का पालन कर सकते हैं

विधिवत पूजा करें: शनि देव की पूजा करते समय विधिवत प्रक्रिया का पालन करें, जैसे स्नान करना, पूजा स्थल को शुद्ध करना, दीप जलाना, पुष्प चढ़ाना, प्रसाद बाँटना आदि।

मंत्र जप करें: शनि देव के मंत्रों का जाप करने से उनकी कृपा मिलती है। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” या “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” जैसे मंत्र का जप करें।ध्यान करें: शनि देव की मूर्ति को ध्यान से देखें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें। ध्यान के दौरान उनके गुणों का चिन्हन करें और उनके दिशा संग्रह को प्राप्त करें।निर्मल मन से पूजा करें: शनि देव की पूजा को निर्मल मन से और भक्ति भाव से करें। उनकी कृपा के लिए हमेशा प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।इन उपायों का पालन करते समय, शनि देव की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी और आप दोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगे।

भगवान शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष का प्रभाव है

कहा जाता, जो लोग ऐसा प्रत्येक शनिवार करते हैं, उनके ऊपर से शनि दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। तो आइए यहां पढ़ते हैं शनिदेव की स्तुति, जो इस प्रकार है-

शनिदेव की स्तुति – Shani dev Stuti Mantra

शनि देव की स्तुति

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥॥

शनिदेव पूजा विधि :

शनि देव

1) शनिवार के दिन उपवास रखें।
2 ) व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से करें।
3) व्रत के दिन पवित्र स्नान करें और इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
4) एक लकड़ी की चौकी पर शनि यंत्र स्थापित करें।
5) भगवान शनि को पंचामृत से स्नान करवाएं।
6) फूलों की माला अर्पित करें।
7) फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
8) तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीया जलाएं।
9) भगवान शनि की स्तुति का पाठ करें।
10) पूजा का समापन शनिदेव की आरती से करें।
11) शनि पूजन के बाद असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं।
12) व्रत का पारण काली उड़द की दाल की खिचड़ी से करें।

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