लोकसभा क्या होता है? और उसकी कालावधी कितने वर्ष की होती है उसके साथ भारतीय चुनाव आयोग का क्या काम?

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आज भारत में हर किसी जुबान एक ही चर्चा वो भी लोकसभा tea की दुकान से media वाले हर पार्टी के नेता को बोलवा कर प्रशन ओर उतर सवाल जवाब कर रहे है अगर आप मोबाईल इस्तमाल कर रहे होगा। तो आप को अभी से हर पार्टी डिजिटल कँपैन चालू होगा।किस पार्टी ने कितने काम किया है हर कोई इस बार किस्की सरकार आयेगी ओस पर विचार चाल रहा है भारत में पहली बार लोकसभा के चुनाव 1951-52 में आयोजित किए गए थे। ये चुनाव भारतीय संविधान के लागू होने के बाद हुए थे और इसके जरिए देश की प्रथम लोकसभा की स्थापना हुई थी। इस चुनाव में देश भर से लाखों लोगों ने भाग लिया था और उनमें से सदस्यों को चुना गया था। इससे पहले भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान लोकसभा का गठन नहीं होता था।

वर्तमान समय में, भारतीय लोकसभा में कुल 545 सीटें हैं। इनमें से 543 सीटें निर्वाचित होती हैं और 2 सीटें अंध्र प्रदेश और सिक्किम राज्य के अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए आपात स्थितियों के लिए आरक्षित हैं।

लोकसभा की सीट से चुने जाने वाले व्यक्ति को “सांसद” कहा जाता है। सांसदों का मुख्य कार्य लोकसभा में विधायक के रूप में काम करना होता है। वे विधायकों के माध्यम से लोकतंत्र की नींव बनाते हैं और सरकार के निर्णयों पर निगरानी करते हैं। सांसदों का कार्य अपने चुनावी क्षेत्र के लोगों की समस्याओं और आवश्यकताओं को उठाना, संविधानिक लेगिस्लेशन में सहयोग करना, और सार्वजनिक नीतियों पर राजनीतिक विचार-विमर्श करना होता है। वे अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में भी काम करते हैं और लोकसभा में अपने क्षेत्र की बातें उठाते हैं।

लोकसभा भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण संसदीय संस्थान है जो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सदस्यों के द्वारा गठित होता है। यह लोगों की प्रतिनिधित्व करता है और सरकार के निर्णयों पर निगरानी और निर्देशन प्रदान करता है। लोकसभा के सदस्य लोकतंत्र के मूल तत्व के रूप में लोगों की आवाज को सुनने और उनकी मांगों को प्रस्तुत करने का कार्य करते हैं।लोकसभा की कालावधि 5 वर्ष की होती है, जिसके बाद नई चुनावों का आयोजन होता है। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने गए सदस्यों की संख्या निर्धारित होती है।

लोकसभा का चुनाव भारत में कई दिनों तक चलता है, लेकिन वोटिंग की प्रक्रिया एक या दो दिनों में पूरी हो जाती है। वोटिंग के बाद नतीजों की घोषणा कुछ दिनों में होती है।

भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) भारत में चुनावी प्रक्रिया का प्रबंधन करता है। यह निष्पक्षता और विश्वसनीयता के साथ लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए लोकसभा, विधानसभा और पंचायती राज चुनावों की व्यवस्था करता है। इसका मुख्य काम चुनावी प्रक्रिया का संचालन करना है, जिसमें मतदाताओं का पंजीकरण, उम्मीदवारों की पंजीकरण, वोटिंग और नतीजों की घोषणा शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है ताकि लोगों के वोटों का सही गणना हो और लोकतंत्र की नींव मजबूत बने।

भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) लोकसभा चुनावों के लिए निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन करता है। इसके द्वारा कई स्तरों पर व्यवस्थाएं की जाती हैं, जिनमें अधिकारिक, प्रशासनिक, और अन्य स्तरों की शामिल होती हैं। यह आयोग चुनावी प्रक्रिया के लिए अनेक कार्यकर्ताओं को संबोधित करता है,

विभागीय अधिकारी: यह विभिन्न अधिकारियों को संगठित करने और चुनाव की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जैसे कि चुनाव आयुक्त, विभागीय निरीक्षक, और अन्य अधिकारियों।

निर्वाचन कर्मचारी: इन कर्मचारियों का काम चुनाव की प्रक्रिया के दौरान वोटिंग और गणना का संचालन करना होता है।

सुरक्षा बल: चुनावी क्षेत्रों में सुरक्षा बलों का दुरुपयोग होता है ताकि चुनाव की शांति और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

जनसंपर्क अधिकारी: चुनावी प्रक्रिया को लोगों तक पहुंचाने और जानकारी उपलब्ध कराने के लिए जनसंपर्क अधिकारी कार्य करते हैं।इसके अलावा, चुनावी प्रक्रिया में अन्य संबंधित विभागों, सरकारी अधिकारियों, और व्यावसायिक संगठनों की भी सहायता होती है। इन सभी विभागों और अधिकारियों के संयोजन से चुनाव प्रक्रिया को सुचारु और निष्पक्ष ढंग से संचालित किया जाता है।

लोकसभा Lok Sabha 2024
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